इसके बाद प्रस्तुत है एक छोटी सी रचना
नहीं किसी से डरती चींटी
ठान लिया जो करती चींटी
दाने एक-एक चुन-चुन कर,
खुद अपना घर भरती चींटी
अपने वादे की है पक्की
करके नही मुकरती चींटी
उँची-नीची पगडंडी पर
चलती कभी न गिरती चींटी
खुद से दूना भार उठाकर
चढ़ती कभी उतरती चींटी
जीती है अपनों के खातिर
अपनों पर ही मरती चींटी
अनुशासन में रहकर "बाबा"
संभल-संभल पग धरती चींटी
Saturday, May 15, 2010
प्रतिष्ठित कवि दीपचंद सुथार की काव्य यात्रा के स्वर्ण जयंती समारोह की कुछ झलकियाँ
भक्त शिरोमणि मीराबाई की जन्मस्थली मेड़ता सिटी जिला नागौर राजस्थान में वरिष्ठ कवि दीपचंद सुथार की काव्य यात्रा के स्वर्ण जयंती समारोह की कुछ झलकियाँ जिसकी अध्यक्षता की नागौर के जिलाधिकारी डॉ. समित शर्मा, मुख्यअतिथि थे डॉ. परमानंद पांचाल(पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानीजैल सिंह के विशेष सलाहकार) एवं विशिष्टअतिथि के रूप में मैं(बाबा कानपुरी) और स्वामी ओमानंद सरस्वती








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